tag:blogger.com,1999:blog-412467778030302829.post6061389949807647344..comments2023-06-04T16:03:13.545+05:30Comments on प्रकाश पाखी: क्षत्रिय उग्ररूप का शिलालेखप्रकाश पाखीhttp://www.blogger.com/profile/09425652140872422717noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-412467778030302829.post-4293009760254332732009-05-21T19:19:17.927+05:302009-05-21T19:19:17.927+05:30adbhut,advitiya aur avismraniyaadbhut,advitiya aur avismraniyaAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-412467778030302829.post-81463669136550787282009-05-21T16:45:01.749+05:302009-05-21T16:45:01.749+05:30आप बहुत अच्छा लिखते है,ख़ास तो विविधता और रोचकता द...आप बहुत अच्छा लिखते है,ख़ास तो विविधता और रोचकता दोनों आपके लेखन में दिखाई पड़ते यह अनुमान लगाना कठिन है की आप की अगली पोस्ट किस विषय पर होगी...बधाई..!<br /><br />आगे भी इस तरह का रचनाकर्म जारी रखें.<br /><br />सोनिया शाह.sonia shahnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-412467778030302829.post-17117716354772090652009-05-21T11:17:38.764+05:302009-05-21T11:17:38.764+05:30संजय भाई, किशोर भाई...
ये आपका दिया हौसला है कि मै...संजय भाई, किशोर भाई...<br />ये आपका दिया हौसला है कि मैं कुछ लिख पा रहा हूँ.वर्ना जिस माहौल में हम रहते हैं वहां कुछ पढने तक की सोच नहीं सकते...<br />जानता हूँ बहुत कुछ कमियाँ लिखने में रह जाती है ..पर आप उन्हें इसलिए गौर नहीं करते कि कहीं मेरा हौसला न टूट जाए...आपके और किशोर भाई के लेख तो बहुत पहले से प्रकाशित होते आये हैं.पर मुझे तो व्याकरण भी ढंग से नहीं आती.<br />बस ये दिल का जोर है कि लिख देता हूँ.....कभी ब्लॉग में आती समस्याओं से परेशान हो जाता हूँ..तो कभी कम टाइप करे की आदत से ...आप और किशोर भाई जो पग पग पे साथ रहते हैं तो फिर चल पड़ता हूँ...आपका शुक्रिया कहने के लिए शब्द कम पड़ेंगे..<br />ऊर्मि जी ये पंक्ति <br />शिकवा और शुक्रिया क्या कहें आपसे <br />लफ्जों का तकल्लुफ जमाने के लिए छोडा....<br /><br /><br />आपका <br /><br />पाखीप्रकाश पाखीhttps://www.blogger.com/profile/09425652140872422717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-412467778030302829.post-5339241202877188212009-05-21T07:58:07.471+05:302009-05-21T07:58:07.471+05:30आपकी सुंदर टिपण्णी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!
मुझे ...आपकी सुंदर टिपण्णी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!<br />मुझे आपका ये ब्लॉग बेहद पसंद आया! इतना ख़ूबसूरत लिखा है आपने कि मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती! आपकी लेखनी का जवाब नहीं और खास बात ये है कि आपका ब्लॉग सबसे जुदा है! लिखते रहिये और हम पड़ने का लुत्फ़ उठाएंगे!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-412467778030302829.post-65077455846511691092009-05-20T20:29:28.684+05:302009-05-20T20:29:28.684+05:30देश के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण के...देश के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण के लिए पिछले साठ सालों में सरकारी योजनाओं में व्यय किये गए धन और श्रम के जाया होने के कई उदहारण आपको इस समृद्ध देश में मिल जायेंगे. किरात कूप के एक काल खंड को आपने अपने साहित्यिक कौशल से प्राणों से भर दिया है. इस पोस्ट को पढ़ते समय आपकी लेखन कला के बारे में सोचता रहा. आप कई बार मुझे अद्वितीय लगते हैं. <br /><br />टिपण्णी भेजने का लिंक सफ़ेद रंग में हो गया है खोजने में परेशानी हो रही है इस पर ध्यान दें.के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-412467778030302829.post-13661449597575091812009-05-20T10:17:54.990+05:302009-05-20T10:17:54.990+05:30जिस पश्च-दीप्ति में इतिहास के विस्मृत पन्नों से ले...जिस पश्च-दीप्ति में इतिहास के विस्मृत पन्नों से लेखक कथा सृजन कर रहा था उसी समय मैं भी सब कुछ होते देखने का प्रभाव भीतर महसूस कर रहा था.कथा बेहद बाँधने वाली है और वृन्दावन वर्मा और के.एम्.मुंशी के लेखन की याद दिलाती है.<br />किराडू के जिन खंडहरों को देख आपके लेखक ने सृजनात्मक वैभव की सर्जना की है उसी स्थान को मैंने भी देखा है और आश्चर्य होता है कि मंदिर जिस शास्त्रीय संस्कृति की ओर इंगित करते है वहीं उनमे ऊँट का अंकन स्थानीय परिवेश का प्रभाव भी झलकाता है.<br />बधाई और ऐसे ही अन्य की अपेक्षा में.sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.com