गुरुवार, 11 जून 2009

राज्य सेवा में आठ वर्ष पूरे...बधाई और शुभकामनाएं

आज के दिन आठ वर्ष पहले १०८ अन्य साथियों के साथ राज्य सेवा में प्रवेश लिया था.मुझे याद है कि ट्रेन में जगह नहीं मिली थे तो अखबार बिछा कर सोते सोते आये थे.जब चयन हुआ था तो माँ की आँखे सजल हुई थी,बेरोजगारी और अनिश्चितता मेरे जीवन से लेकर परिवार तक पसरी हुई थी.लोगों की नजरों में हम मूर्ख थे जो सितारों के सपने देखते थे.उपहास भरी नजरें और ताने हमेशा पीछा करते थे.जैसे जैसे असफलताओं की संख्या बढती गई वैसे वैसे कुछ लोग जिनका हमने कुछ नहीं बिगाडा था ज्यादा मुखर होकर हमारा मजाक उड़ते थे.उनकी नजरों में एक मध्यमवर्गीय युवा का उच्च सेवा में प्रवेश का ख्वाब देखना बहुत बड़ा अपराध था. हमें आम आदमी गरीब और बेरोजगार के प्रति बहुत कुछ करने की इच्छा होती थी क्योंकि हम उनमेंसे ही एक थे. कभी कभी निराशाओं में डूब जाते थे.हमें यह लगता था कि हम अगर कुछ बन गए तो क्या कुछ नहीं बदल देंगे.फिर क्या और साल भर बधाई और सम्मान के दौर चले.११ जून को हमने ओ टी एस में प्रशिक्षु के रूप में राज्य सेवा ज्वाइन कि.हमें मिला १०८ साथियों का परिवार.सभी लोग एक से परिस्थितियों से आये थे नोक झोंक खट्टा मीठा गर्म ठंडा साथ चलने का समय गुजर गया.फिर सब अपने विभागों में उच्चाधिकारी बन गए.मुझे गर्व है कि अधिकाँश साथी आज भी उन सपनो और आम आदमी के निकट रहने के अहसासों को नहीं भूले है.अपने क्षेत्रों में प्रशासनिक श्रेष्ठता और कुशलता के साथ अपने दायित्वों का निर्वाह कर रहे है.
सपनों और हकीकत का फर्क सामने आरहा है.अब उन लोगों के बारे में तो सोचने का समय ही नहीं मिलता है जो हमारी मजाक उडाते थे.हाँ आम आदमी गरीब और बेरोजगार के बारे में ज्यादा करने के लिए कभी कभी बहुत जोर लगाना पड़ता है.
कभी व्यवस्था पर सब कुछ डाल कर अकर्मण्य होने की इच्छा होती है..फिर बरसों पुराना समय याद आता है..सोचता हूँ कि भगवान् ने अपना पेट पालने के लिए हाथ पैर दिए है इसके अलावा जो कुछ दिया है वह तो दूसरों की अमानत है.आम गरीब का साथ देने का रास्ता मुश्किल जरूर है पर उनके बारे में सजगता से सोचने पर हम यह से सकते है.
कई बार दबाव और परिस्थितियाँ इतनी विपरीत होती है कि सब कुछ ईश्वर पर छोड़ना पड़ता है..अब यह अहसास हो गया है कि व्यवस्था में परिवर्तन व्यवस्था का हिस्सा बनकर नहीं किया जासकता..अपने आप को समझाना पड़ता है कि आपके प्रयास उस गिलहरी से ज्यादा प्रभावी कभी नहीं हो पायेंगे जिसने राम सेतु बनाने में अपने भीगे शरीर से चिपकी रेत से समन्दर भरने का प्रयास किया था..जो भी हो आठ साल बाद भी हम आमआदमी है..आम आदमी के निकट है ..और आम आदमी के बारे में सोचते है...हे,ईश्वर हमें हमारे पुराने दिनों को मत भूलने देना ...उनदिनों की याद खत्म हुई तो जिन्दगी का मकसद खत्म हो जाएगा..
कुछ दोस्तों का जिक्र यहाँ जरूरी है..

राय सिंह मौजावत(मोजा ही मोजा)-आप सहकारी सेवा के अधिकारी है.आपके झालावाड में सहकारी भण्डार पर जेनेरिक दवाएं उपलब्ध के प्रयास से आम आदमी को सस्ती दवामिल सकी.गर्व का विषय है कि इस माडल को अन्य जगह भी अपनाने के प्रयास हुए है.
आप बिना पिए नशे में रहने के कारण बैच में चर्चित रहे थे..आपके सर के बाल गाडी का टायर पंचर करने वाली कील कि तरह नुकीले और खतरनाक है.

जय सिंह -आप हमारे बैच के सर्व श्रेष्ठ व्यक्तित्व थे.प्रशासनिक सेवा में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा.मजिस्ट्रेट होने का घमंड नहीं है.आज भी हर बैच मेट को सबसे पहले याद करते है.

पूर्ण सिंह -(तांत्रिक)आप वाणिज्यकर सेवा में है.पतली आवाज में कुछ बुदबुदाते रहते थे ..सटीक व्यंग्य करने में आपका कोई मुकाबला नहीं है.

ओम पाल-आप सहकारी सेवा में एक सफल अधिकारी है ट्रेनिंग के दौरान शायद ही कोई होगा जिसकी कुशल नक़ल आप न से सके हों.
प्रदीप-सुभाष के साथ आपकी प्यार भरी दुश्मनी..सबको हसाती थी...आज भी याद आती है.
सुभाष-प्रदीप के साथी...आज भी नोक झोंक जारी है..पर एक दुसरे कि आला मजाक उडाने वाले दोनों अधिकारी आज सबसे सफल युवा प्रशासनिक अधिकारी है.
दिनेश शर्मा -स्मार्ट अधिकारी..काम से भी ,अक्ल से भी और शक्ल से भी...
सी आर देवासी-स्पष्ट वादी, मेरे रूम पार्टनर, मेरे तयारी के साथी..गरीब के पक्ष में खडे होने कि हमेशा कीमत चुकाते है...और परवाह भी नहीं करते है..
राकेश मोहन-अंग्रेजो के जमाने के जेलर,जेल सेवा में ये पंडित कैसे आगया? ओ टी एस में पहले दिन इन्होने मेरा और मैंने इनका परिचय सबको दिया था..

साथियों कि लिस्ट लम्बी है..सबके बारे में यहाँ बता पाना संभव नहीं है.
सभी साथियों को राज्य सेवा में ८ वर्ष पूरे करने की हार्दिक बधाई और शुभ कामनाएं.
आपका
प्रकाश सिंह

15 टिप्‍पणियां:

ravishndtv ने कहा…

बहुत सुंदर। बहुत दिनों बाद किसी लोक सेवक की अपने काम में ऐसी श्रद्धा का विवरण पढ़ा। बहुत ही अच्छा लगा। ध्रुव के जन्मदिन पर लिखी आपकी चिट्ठी तो बहुत ही पसंद आई। मुझे एक और बात अच्छी लगी कि आठ साल बाद भी आप और आपके दोस्तों में कुछ करने का जज़्बा बचा हुआ है।
रेत का एक कण ही सही लेकिन इरादा तो नेक है।

आप को बधाई। अफसर पालने के ख्वाब पर हंसने वाले होते हैं। उनको हंसने दीजिए। हम आपके लिए ताली बजायेंगे।

Anil Pusadkar ने कहा…

बधाई आपको और आपके साथियो को।जिस अंधे दौर से देश गुज़र रहा है उसमे आप जैसे लोग ही आशा की किरण बनकर उम्मीद जगाते हैं।सलाम करता हूं आपके ज़ज़्बे को।

बेनामी ने कहा…

ati sundar!

OMPAL SINGH BHATI ने कहा…

very good expression

अनिल कान्त ने कहा…

aapko badhayi ho

sanjay vyas ने कहा…

आपको बहुत बहुत बधाई.लोक सेवा में जिन आदर्शों के साथ आप प्रविष्ट हुए थे वे सदा आपको प्रिय रहें.बढ़िया पोस्ट, रविश जी के आगे और कुछ क्या कहा जाए, उनकी टिपण्णी की भी बधाई.

Akanksha Yadav ने कहा…

Nice one...Wonder Job.

sandhyagupta ने कहा…

अब यह अहसास हो गया है कि व्यवस्था में परिवर्तन व्यवस्था का हिस्सा बनकर नहीं किया जासकता..अपने आप को समझाना पड़ता है कि आपके प्रयास उस गिलहरी से ज्यादा प्रभावी कभी नहीं हो पायेंगे जिसने राम सेतु बनाने में अपने भीगे शरीर से चिपकी रेत से समन्दर भरने का प्रयास किया था..

Mere vichar me koshish parinam se jyada mayne rakhti hai.Aap vyavastha me rahkar usme parivartan la payen ya nahin usse jyada mayne yah rakhta hai ki aapne prayas kiya athwa nahin.

Sewa me 8 varsh pure karne ki badhai.

Neha Dev ने कहा…

आप एक भावुक और कर्तव्यनिष्ठ इंसान है.
पोस्ट बहुत अच्छी लगी ऐसे ही दोस्तों की याद बनी रहा करती है हमेशा हमारे साथ.

के सी ने कहा…

शिक्षा से ज्ञान और नैतिकता से सद्कामनाओं का पोषण होता है, आपने ये आरोहण बिना अमरबेल हुए किया है मुझे इस बात की ख़ुशी सबसे ज्यादा है. अफसर और इंसान के बीच सूत भर का ही फासला होता है मैं सोचता हूँ कि आपके बैच के ज्यादातर आप जैसे ही हैं इंसान वाले पाले में. आप एक ग़रीब आदमी के पक्ष में खड़े रहेंगे इतना विशवास तो मुझे सदा बना रहेगा.

शोभना चौरे ने कहा…

bhut hi acha lga aapki post padhkar jaise tpti dophri me rimjhim barkha ki bunde .
aur sach to ye hai ki ap jaise krmath logo se hi vyvstha chal rhi hai ye bat alg hai ki ham sab log buraiyo ka to din rat jikra karte hai hai aur jo ache kam hote hai unki dastak tk nhi hoti .
aap sbhi ka abhinandan .
sayog se aapka aur mere blog ka nam ak hi hai abhivykti .

कंचन सिंह चौहान ने कहा…

आपको और आपके मित्रों को बधाई....! सांसारिकता आपकी निष्ठा और ईमानदारी को किसी भी प्रकार ग्रसित ना करे ये मेरी शुभकामनाएं....! गुरुकुल के नये विद्यार्थी के रूप में स्वागत....!!!!

और बाकी जो हमारी हथेलियाँ खुली रहने का जो आप ने पता लगाया है उसका हिसाब तो क्लास में किया जयेगा....! सीनियर्स से पंगा...?? रैगिंग का डर नही है क्या..??? :) :)

best of luck

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

आपके दोस्तोँ के बारे मेँ, आपने, अच्छा लिखा है और आप इसी तरह कार्य करते रहेँ और उच्चतर सफलताओँ की ओर बढते जायेँ ये शुभकामना है
- लावण्या

Urmi ने कहा…

आपको और आपके दोस्तों को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें! बहुत बढ़िया लिखा है आपने! मुझे बेहद पसंद आया! मुझे ये बात सबसे अच्छी लगी कि इतना लंबा समय गुज़र जाने के बाद भी आप और आपके दोस्तों में कुछ करने का जोश अभी भी है!लिखते रहिये और हम पड़ने का लुत्फ़ उठाएंगे!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

comments ke liye dhanyawaad........ aur 8 varsh poore karne ke liye meri or se shubhkaamnaayen........

apka email ID wahi hai na jo facebuk mein show ho raha hai?