रविवार, 10 अक्तूबर 2010

माजरा कुछ नहीं, बस साथी हाथ बढाया था

मेरी पोस्ट पिछले कई दिनों से मेरे मित्रों के फोलोवर लिंक में अप डेट नहीं हो रही थी ..तो निराश होकर ब्लॉग लिखना ही छोड़ दिया...आज अचानक ब्लोगर के आंकड़े देखे तो सुखद आश्चर्य हुआ कि अभी भी इस ब्लॉग पर लोगो का आना लगा हुआ है...शायद ही इससे अधिक मनोबल बढाने वाली कोई और बात हो.अयोध्या का फैसला सुकून देने वाला लगा...भारत कोमन्वेल्थ में गोल्ड जीत रहा है यह ख़ुशी की बात है.
सुनने में आ रहा है कि अयोध्या में मंदिर मस्जिद निर्माण के लिए सभी लोग एक हो रहे है...मंदिर बनाए में मुसलमान भाई साथ देंगे और  मस्जिद बनाने में हिन्दू कार सेवा करेंगे...सपना सा लगता है ऐसा होना .पर दिल चाहता है ऐसा ही हो...कौमी एकता की एक ऐसी मिसाल कायम हो और अयोध्या के ये मंदिर और मस्जिद दुनियां में सर्वश्रेष्ठ बने.समय बदल रहा है...भारत महाशक्ति बन रहा  है...क्योंकि हमारे देश का लोकतंत्र और सामाजिक समरसता बेमिसाल है.

उसने अपना दिल चीर के दिखाया था.
खुदा भी था वहीँ जहाँ राम समाया था,

नफरत के दरिया में दोनों बहने लगे थे 
सियासत ने इस कदर जुल्म ढहाया था.

बड़ी ही हिकारत से देखा था हरबार उसको 
जख्मो पे जिसने मरहम आज लगाया था

देख उसको जो कह रहा है सब तुझे दूंगा 
खंजर से कल जिसका तूने खून बहाया था  

सियासत कांप रही थी,तख़्त हिलने लगे थे 
माजरा कुछ नहीं, बस साथी हाथ बढाया था 
आपका शुक्रिया! 

2 टिप्‍पणियां:

वीनस केसरी ने कहा…

पाखी जी,

कहां लापता हो गये थे

अपना मो. नो. मेल से भेजिये

आपको कै बार मेल की मगर आपने कोइ जवाब ही नहीं दिया :(

अपूर्व ने कहा…

अच्छा लगा जानकर कि पहाड़ों के मजे ले रहे हैं..यहाँ आपकी उपस्थिति थोड़ी नियमित हो तो और अच्छा लगे..
सियासत कांप रही थी,तख़्त हिलने लगे थे
माजरा कुछ नहीं, बस साथी हाथ बढाया था

आपकी इन दुआओं मे हमारा आमीन भी शरीक है!