जिनके इशारों को ढूंढती है कई नजरें
उनको चाहते कई दिल वो बेखबर तन्हा होते है
हजारों सजदों का ईनाम हासिल जिन्हें
कई तकदीरों के मालिक वो अक्सर तन्हा होते है
उनके आँगन में लगे है मेले हमेशा से
बाहर खुशियों के आलम वो अन्दर तन्हा होते है.
मुश्किलों में हाथ थामे मंजिलों तक साथ देते
कोई राह नई दिखादे, वो रहबर तन्हा होते है
सख्त जान परिंदों के पंख मजबूत है 'पाखी'
होतीं परवाजें लम्बी पर सफ़र तन्हा होतें है
'पाखी'
12 टिप्पणियां:
bahut sundar rachana...kahin kahin chhand ke niymo ka paalan nahin kiya hai..par bhav aur abhivyakti kamjor nahi hui...
avinash dixit
उनके आँगन में लगे है मेले हमेशा से
बाहर खुशियों के आलम वो अन्दर तन्हा होते है.
सुन्दर शेर हैं सब के सब............खूबसूरत
behtreen rachna ...bahut achchha likha hai aapne
Meri Kalam - Meri Abhivyakti
अच्छी रचना।
आपकी ये रचना बहुत अच्छी रही. मात्रा- भार का तो मैं नहीं जानता पर भाव के स्तर पर बहुत जान है इसमें. असल में मैं ये रचना आपके ब्लॉग से सीधे ही पढ़ते हुए फ़ोन पर अपने मित्र को सुना रहा था तो वे भी हर बार वाह कह रहे थे.बधाई.
हर शेर पर वाह निकला है अब इसे लिखा कैसे जाये समझ नही आता.
हजारों सजदों का ईनाम हासिल जिन्हें
कई तकदीरों के मालिक वो अक्सर तन्हा होते है
उनके आँगन में लगे है मेले हमेशा से
बाहर खुशियों के आलम वो अन्दर तन्हा होते है.
Bahut khub likha hai.Badhai.
आपके सोचने समझने का दायरा बड़ा ही विस्तृत है और इसे आपकी ग़ज़लों में महसूस किया जा सकता है.
सख्त जान परिंदों के पंख मजबूत है 'पाखी'
होतीं परवाजें लम्बी पर सफ़र तन्हा होतें है !!
हजारों सजदों का ईनाम हासिल जिन्हें
कई तकदीरों के मालिक वो अक्सर तन्हा होते है
उनके आँगन में लगे है मेले हमेशा से
बाहर खुशियों के आलम वो अन्दर तन्हा होते है.
लाजवाब पंक्तियाँ ....बहुत अच्छी पकड़ है आपकी ....किसी ग़ज़ल गुरु के शरण की आवश्यकता है थोडी ......!!
आपकी लम्बी टिप्पणी भी पढ़ी....आके आपका मेल ढूँढा नहीं मिला.....आप गद्ध भी अच्छा लिख लेते हैं आपकी टिप्पणी बताती है.....हो सके तो मेल करें ....!!
आपके सुंदर पंक्तियों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद! मैंने आपकी इजाज़त के बगैर आपकी पंक्तियों को अपनी शायरी में डालकर थोडी तबदीली की है! आप पड़कर मुझे बताइए की कैसा है!
बहुत ही उम्दा रचना लिखा है आपने!
सुन्दर रचना|
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