इक्कीसवां राष्ट्रीय सडक सुरक्षा सप्ताह देश भर में आम लोगो में वाहन चालन और सुरक्षा नियमों के प्रति परवाह और जागरूकता उत्पन्न करने के लिए मनाया गया.हमारे भीलवाडा जिले में यह जिस उत्साह से मनाया गया वह सुखद था.इसकी ख़ास बात यह रही कि मीडिया ने आम लोगों में यातायात के नियमों और ट्रेफिक सेन्स के प्रति 'अवेअरनेस' को लेकर एक आन्दोलन सा छेड़ दिया है.और जनता ने भी इसका सकारात्मक जवाब दिया.
प्रसिद्द दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका ने इस अवसर पर एक परिचर्चा आयोजित की जिसमे जिले के पुलिस प्रमुख और एस पी श्री पी. रामजी,डी वाई एस पी(शहर) और मेरे बेच मेट श्री उमेश ओझा, राजस्थान पत्रिका के संपादक श्री राजेश कसेरा,मेवाड़ चेंबर आफ कोमर्स एंड इंडस्ट्री के चेयरमेन एस पी नाथानी,व्यापार मंडल के अध्यक्ष श्री आर पोखरना,गुड्स ट्रांसपोर्ट एशोसिएशन के अध्यक्ष वी बी एस राठोड,प्रबुद्ध वकील श्री एम् जी पुरोहित सहित भीलवाड़ा के अपने क्षेत्र के प्रमुख व्यक्तियों ने हिस्सा लिया.चर्चा इतनी सार्थक,उपयोगी और प्रेरणादायक रही कि राजस्थान पत्रिका ने इस पर अपना एक पेज निकाला है.(उसको अगली पोस्ट में पेश करूंगा).फिलहाल प्रस्तुत है इस सेमीनार की झलकियाँ.
मेवाड़ चेम्बर आफ कामर्स के अध्यक्ष और व्यापार मंडल के अध्यक्ष सहित गणमान्य प्रतिभागी
महाविद्यालय के प्राचार्य
डिप्टी एस पी (शहर)उमेश ओझा
जरा पहचाने ये कौन है?
परिचर्चा के प्रतिभागी प्रबुद्ध नागरिक
राजस्थान पत्रिका के संपादक श्री राजेश कसेरा
राजस्थान पत्रिका और परिवहन विभाग द्वारा आयोजित सड़क सुरक्षा के विषय पर पोस्टर प्रतियोगिता के विजेता के पोस्टर्स
इस सप्ताह हम संकल्प लें कि हम देश में प्रतिवर्ष सडक दुर्घटनाओं में होने वाली एक लाख से अधिक मौतों,पांच लाख से अधिक होने वाले घायलों और ११००० करोड़ की राष्ट्रीय सम्पदा के नुक्सान को कुछ कम करने का प्रयास करेंगे.कामना करता हूँ कि नव वर्ष आपके आपके परिवार के लिए और आपके समस्त मित्रों और परिचितों के लिए और जिनको आप जानते है सबके लिए सुखमय हो और दुर्घटना मुक्त हों.
आपका
प्रकाश
10 टिप्पणियां:
kuchh nahin hotaa bandhu ,6 saal maine magajmaarii kii hai
ALKA JI ISILIYE MAIN DAS SAAL SE MAGJMAARI KAR RAHA HOON...
SHAAYD TABHI KUCHH HO!
AAPKI PEEDA SAMJHI SAKNE VAALI HAI PAR KEVAL ISLYE HI HAATH PAR HATH DHAR KAR NAHI BAITH SAKTE!
AABHAAR AUR SHUKRIYA!
आपकी बात से सहमत..
हाथ पर हाथ धरे रहने से क्या होना है...
कोशिश करके भी अगर कुछ नहीं हुआ तो एक तसल्ली तो होगी कि हमने कोशिश की.....
सड़क दुर्घटनाओं की भयावहता और उसके प्रति हमारी लापरवाही को अभी भी बहुत अंडरएस्टीमेट करते हैं हम सब..जबकि मुझे लगता है कि थोड़ी सतर्कता और नियमों के पालन से ७०% से भी ज्यादा दुर्घटनाओं को होने से रोका जा सकता है..ऐसे मे इस प्रकार की सेमिनार्स बहुत जरूरी है जागरुकता फ़ैलाने के लिये.मुझे लगता है कि वक्त बदल रहा है..और मानसिकता भी..मगर गति को तेज करना जरूरी है..
इस प्रयास के लिये शुभकामनाएं
प्रकाश जी ये फोटो के साथ 'पेचान कौन' की पहेली रख कर विनम्र न बनिये.आप ही हैं.
और इस महत्वपूर्ण आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए बधाई.आगे की रिपोर्ट का इंतज़ार रहेगा.
koshish karne valo ki har nahi hoti .
aap apne is pryas me safl ho .shubhkamnaye
... स्वस्फ़ूर्त यातायात नियमो का पालन करने वाले बहुत कम लोग हैं इसलिये अलख जगाना व नियमो का कडाई से पालन कराना अत्यंत आवश्यक है, सही मायने मे कहा जाये तो "लातों के भूत बातों से नहीं मानते" !!!!!!!
kya baat hai ek saath 2 kavi hriday adhikaari,ek manch par....aaap aur umeshji........great combination!
जब तक लोग यातायात के नियम नहीं बार बार नहीं पड़ेंगे तब तक वो असर नहीं करेगा
ज़रूरी है यातायात के नियम जगह जगह पढ़ाएँ जाएँ
शायद कभी कुछ बदले और कुछ दुर्घटना भी कम हुई तो म्हणत सार्थक हो गई
बहुत खूब ....सेमिनार की तस्वीरों में आपको भी पहचान लिया ....तस्वीर बहुत अच्छी है .... बधाई ...!
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