रात भर आवाज देता है कोई उस पार से
साथ दे अब और भी चाहा नहीं संसार से
देख के उनको नजर भर प्यार का दरिया बहा
ज्यूँ घटाएं रातभर जलजल हुई मल्हार से
आज आजादी कहाँ है ये कहाँ की बंदगी
आँख के आगे जफा तो जी रहे लाचार से
साथ दे अब और भी चाहा नहीं संसार से
देख के उनको नजर भर प्यार का दरिया बहा
ज्यूँ घटाएं रातभर जलजल हुई मल्हार से
आज आजादी कहाँ है ये कहाँ की बंदगी
आँख के आगे जफा तो जी रहे लाचार से
आज जाने दे मुझे क्यूँ रोकता तकरार पे
प्रेम के दो बोल काफी क्या मिलेगा खार से
जीत के सारा जहाँ वो रो पड़ा था बाखुदा
हाथ खाली था सिकंदर जब गया संसार से
जाम थामे हाथ में साकी पिलाता बारहा
राज पाखी तू बता चढ़ता नशा क्यूँ हार से
प्रकाश पाखी
13 टिप्पणियां:
जीत के सारा जहाँ वो रो पड़ा था बाखुदा
हाथ खाली था सिकंदर जब गया संसार स
बहुत खूब पाखी जी आपकी ये लाजवाब गज़ल दिल को छू गयी। बधाई स्वीकार कीजिये इस के लिए
खूबसूरत शब्दों के साथ..... खूबसूरत रचना....
शायद मैंने तरही में पढ़ा था. यहाँ पढ़कर मजा आया.
खासकर सिकंदर वाले शे'र...
जीत के सारा जहाँ वो रो पड़ा था बाखुदा
हाथ खाली था सिकंदर जब गया संसार से
बहुत खूब पाखी जी.
जीत के सारा जहाँ वो रो पड़ा था बाखुदा
हाथ खाली था सिकंदर जब गया संसार से
.....bahut sundar,prabhaavashaalee abhivyakti !!!!!
जीत के सारा जहाँ वो रो पड़ा था बाखुदा
हाथ खाली था सिकंदर जब ..ye jante hue bhi hum samjh kha paate hai,koee jaldi se or koee der se hai jane wala.
मुझे भी सिकंदर वाले शेर से याद आया इसे तरही में पढ़ा था.
बढ़िया है भाई. शुक्रिया.आमद हुई इसी बहाने और यारों की मौज हो गयी.
Bahut achhi rachna...
Badhia
रात भर आवाज देता है कोई उस पार से
साथ दे अब और भी चाहा नहीं संसार से
बहुत खूब!
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत बढ़िया लगा ! बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने ! बधाई!
ये ग़ज़ल तरही मुशायरे में लगी थी क्या प्रकाश जी?
कुछ बेहद ही अच्छे मिस्रे बुने हैं आपने। मतला कबरदस्त है।...और दूसरा शेर तो उफ़्फ़्फ़...खासकर "रात भर जल-जल हुई" वाली बात..क्या कहने!
देख के उनको नजर भर प्यार का दरिया बहा
ज्यूँ घटाएं रातभर जलजल हुई मल्हार से
आज आजादी कहाँ है ये कहाँ की बंदगी
आँख के आगे जफा तो जी रहे लाचार से
poori ghazal ka mijaaz bahut dilkash hai..
saare sher behad nafees..
ham to tareef ke liye shabdon se hi laachaar ho jaate hain jab bhi aisi koi rachna padhte hain...
aur aaj fir ek baar laachaar ho gaye hain...
बिलकुल दुरुस्त फ़रमाया अपने
आज जाने दे मुझे क्यूँ रोकता तकरार पे
प्रेम के दो बोल काफी क्या मिलेगा खार से
सुन्दर रचना श्रे मिसरे अच्छे है ..
आभार
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