जब तू बीता पिछला साल
दुबले रह गए अपने हाल
जनता ढूंढें मिले न दाल
मोटो को फिर मोटा माल
इंसाफी में फिर फिर देरी
काले कोट को रंग गुलाल
दूर देश के बैंक भले हैं
काला पैसा उसमे डाल
सारे गुंडे शागिर्दों ने
निर्वाचन में ठोकी ताल
चुनना तो इक मजबूरी है
पांच बरस अब नींद निकाल
पुल टूटे तो परवा किसको
डाली है रेती थोडा माल
प्रकाश पाखी
16 टिप्पणियां:
एक साल का हासिल
जाने कितने ही अखबार और पत्रिकाएं अपने पन्ने रंगेंगी और कई उपलब्धियां बखारेंगी. आपकी ये रचना चुभती है भीतर गहरे तक.
आपको नव वर्ष की शुभकामनाएं...
वाह भई..अच्छी प्रोन्नति है...! लंबे समय से गायब होने का कारण क्या यही था ... गज़लों पर अभ्यास ??
बढ़िया!!
आपको व आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
achhi gazal kahi hai aapne pasand aayee, aur upar bahan ji ne baat puchhi hai kya wo sahi hai? khair nav varsh mangalmay ho aapke aur aapke pure parivaar ko ...
arsh
गए साल को एक अलग भंगिमा से देखते हुए.
चलिए नए साल को तो उम्मीद से देखा जा ही सकता है.
नव वर्ष की शुभकामनाएं.
नव वर्ष की अशेष कामनाएँ।
आपके सभी बिगड़े काम बन जाएँ।
आपके घर में हो इतना रूपया-पैसा,
रखने की जगह कम पड़े और हमारे घर आएँ।
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2009 के ब्लागर्स सम्मान हेतु ऑनलाइन नामांकन
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन के पुरस्कार घोषित।
नया साल...नया जोश...नई सोच...नई उमंग...नए सपने...आइये इसी सदभावना से नए साल का स्वागत करें !!! नव वर्ष-2010 की ढेरों मुबारकवाद !!!
सर जी आपने तो पूरे साल को ही रिवाइंड कर दिया..चंद पंक्तियों मे..फटाफट शैली मे..साल का भी कुछ ऐसा ही हाल नही था क्या
डाली है रेती थोडा माल
खैर उम्मीद है कि नया साल काफ़ी कुछ बेहतर भी लायेगा अपनी झोली मे..
आपको नये वर्ष की शुभकामनाओं सहित.
प्रकाश जी......
अपनी ग़ज़ल में क्या खूब सवाल आपने उठाये हैं.........
दुआ है ऐसे ही लिखते रहें ..............
...... नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनायें.....!
ईश्वर से कामना है कि यह वर्ष आपके सुख और समृद्धि को और ऊँचाई प्रदान करे.
चुनना तो इक मजबूरी है
पांच बरस अब नींद निकाल
पुल टूटे तो परवा किसको
डाली है रेती थोडा माल
गज़ल में सटीक बात कही है. बहुत अच्छा
प्रकाश जी
सुन्दर रचना
पुल टूटे तो परवा किसको
डाली है रेती थोडा माल
बहुत बहुत आभार एवं नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं
बहुत बढ़िया प्रकाश भाई...पहले तरही ने हतप्रभ किया और अब इस ग़ज़ल ने। तमाम यात्राओं का अच्छा सदुपयोग हुआ है शायद।
छोटी बहर पे इस तरक के करारे शेर निकालना सचमुच हुनर की बात है। कहीं-कहीं बहर से भटक रही है। बस तनिक ध्यान देने से हो जायेगा।
मतला में साढ़े तीन फ़ेलुन{लाला-लाला-लाला-ला} की घोषणा है, तो सब शेरों में उसका निर्वहन जरुरी है। तीसरे शेर के पहले मिस्रे में एक अतिरिक्त दीर्घ आ रहा है।उसी तरह चौथे और पांचवें शेर के पहले मिस्रे में भी।
...अओहो आप भी कहोगे कि अजीब झक्की से पाला पड़ा है। तारीफ़ तो करता नहीं, लग रहता है बस चीर-फार करने में।
waah kamaal ki gazal kahte hain aap to
bahut bahut khoob
हां यही तो उपलब्धियां हैं हमारीं.
bahut sateek tippani hai.......
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